ख्वाब जो थोड़े से हैं चल आधे आधे बाँट ले ! सारे उजाले रखना तू सारे अँधेरे मेरे हों हर शाम मेरी हो मगर सारे सवेरे तेरे हों ! चल बाँट ले रुस्वाइयां चल बाँट ले तन्हाईयाँ आ बाँट ले ये धुप भी चल बाँट ले परछाइयाँ ! ख्वाब जो थोड़े से हैं चल आधे […]
गुठ्ठल सिक्के ..!
गुठ्ठल से चंद सिक्के जो आये बाजार में ..बजूद खोजते हैं कभी इस दुकान में कभी उस दुकान में नक्शा भी मिट गया और दश्तखत भी चाहे इधर से देखो चाहे उधर से देखो लोहे का एक टुकड़ा चाहे जिधर से देखो ~विनय
कस्त्तियाँ ..!
कस्त्तियाँ यूँ तो बहुत चलाई थी समंदर मे मैने जब तक सड़क पे बरसात और किताबों मे पन्ने बाकी थे आज जब झरोखो से देखता हूँ तो एक बियाँवान सा नज़र आता है ! जमी बंजर है, रास्ते टूटे हैं और धूल उड़ा करती है वहाँ अबकी घर आओ तो एक बरसात लिए आना ! […]
इंतज़ार..!
तुम्हे याद है कुछ वर्ष पहले जब तुम घर आये थे और हमने बगीचे से कुछ आम चोरी किये थे बो बैठक वाले कमरे में छुपाये थे तुमने शायद एक दिन माँ को झाड़ू लगाते वक़्त मिल गए थे और तुम्हे देहरी रोगन करने की सजा मिली थी रोगन करते करते तुमने कितने आम खा […]
पुरानी धूप का टुकड़ा..!
उदासी के शहर मे कुछ सूखे हुए दरखतों पे सब दर्द बाँध के अपने बो मेरे गाँव आया है सफ़र से रु-ब-रु है वो,ठिकाने जानता है सब कोई कल कह रहा था की बो नंगे पावं आया है पता भी पूछता है अब मेरा मुझसे ही जाने क्यूँ बो मुझको जानता भी है मुझे पहचानता […]