कारखाना…!

वो कारखाना जहाँ बस
दोस्त बना करते थे
वक़्त के साथ गुजर गया
तारीख बन गया है !
रह गया है बस तो एक
यादों का झुरमुट
और बातों की मस्ती
जिनसे बनाता हूँ वो
धुन्धले से चेहरे वो
मकड़ी के जाले
कुछ तीखे समोसे
और मीठी जलेबी !
वो बगीचो में मिलना
साइकिल से चलना
नदी में नहाना
कहीं चुपके चुपके
अब कहाँ वो बचा है !
वो छोटे से बच्चे बड़े
हो गए हैं
दुनिया के मेले में कहीं
खो गए हैं
अब बचा है अगर कुछ
तो वो टूटी इमारत
कुछ बोझल सी यादें !

~विनय

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