कबूतर ..!

kabootar

अपने ही शह्र्र मे अकेले
से हैं
चंद सड़कें,गलियां और
मेरा घर !
एक कबूतर और उसके
दो बच्चे
मेरी ज़िम्मेदारी हैं
मेरे छज्जे पे
रहते हैं
किराया माफ़ है उनका !
दो चार दाने मेरे आँगन मे
छोड़ जाते हैं
किस्तों की तरह
जब भी आते हैं वापस अपनी
रोजगारी से !
~विनय

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