बाजार किश्तों पे…!

बाजार किश्तों पे है
जो भी चाहो खरीदो
यहाँ रिश्ते निभाने की
दवा मिलती है
सुना है की बोतल में
ताज़ी हवा मिलती है
झूठी कसमों से बचने
के ताबीज़ मिलते हैं
यहाँ किराये पर बफादारी
सूद पर बफा मिलती है

बाजार किश्तों पे है
जो भी चाहो खरीदो
यहाँ नफा मिलता है
नुक्सान मिलता है
कीमत ज़रा ऊँची लगाओ
तो भगवान भी मिलता है
यहाँ जीने को ज़िन्दगी
मिलती है और मरने का
सारा सामान मिलता है

बाजार किश्तों पे है
जो भी चाहो खरीदो
यहाँ रोटी ज़रा महंगी है
और जहर सस्ता है
किसी की आबरू सरके
तो बाजार हँसता है
यहाँ जीते हुए पुतलों को
आसरा नहीं मिलता
और मिट्टी का एक पुतला
संगमरमर में बसता है

बाजार किश्तों पे है
जो भी चाहो खरीदो !

                 ~विनय

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