बरसात भी देखो…!

तुमने शहर की गर्म हवाएँ
तो देखी होंगी
अब जो आये हो तो
मेरे गांव की बरसात भी देखो
तुमने बुलंद इमारतों
की नुमाइश तो देखी होगी
अब मेरे छप्पर से टपकते हुए
हालात भी देखो
यहाँ पेट में गुडगुड़ाती हुई
भूख मिलेगी तुम्हे
हर मोड़ में गिड़गिड़ाती हुई
तकदीर पड़ी होगी
लवों पे जुम्बिश हो या न हो
मगर आँखों में मुस्कराते
ख्वाब तो कई हैं
क्या खूब है ये किस्मत
इसकी खुराफात भी देखो
अब जो आये हो तो
मेरे गांव की बरसात भी देखो
~विनय

Leave a Reply