फासला….!

सवाल ये है
कि ज़िंदा कौन है
वो जो जल चुका है
इस जलन में
कि तुम खुश हो
या वो जो ख्वाब
में एक और ज़िन्दगी
जीता है सौ बरस की
और जागता है
तो तो बस यूँ
कि शायद आज की
मुलाकात आखिरी हो
और ज़िन्दगी के
सच से शायद अब
मुलाकात हो
ज़िन्दगी सिर्फ फासला
ही तो है यहाँ से वहां का
जो तय हुआ तो
सूखे फूल से बिखरेगा
और तितर बितर
होंगे जाने कितने बीज
जो बचेगा उस काली
चील की चोंच से
वो अंकुरित होगा और
फिर से दौड़ होगी
यहाँ से वहां तक
जहाँ से कभी मैं दौड़ा था ।
~विनय

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