तस्वीर …!

tasveer

कुछ वर्ष पहले बातों बातों जो एक तस्वीर फाड़ दी थी तुमने
आज वक़्त मिला तुम्हारी याद आई तो जोड़ दी मैंने
जिसमे समूची हैं सभी शक्लें सिवाए एक चेहरे के
जहाँ पे रह गया है कोई पुरानी काई का धब्बा
सोचता हूँ कलम से इसको मैं एक सूरत ही दे पाता
मगर किस्से तो अब हिस्सों में बिखरे हैं इस कदर
कोई हिस्सा मेरे किस्से पे अब मुकम्मल नहीं होता ।

~विनय

Leave a Reply