ख्वाब …!

khwab

ख्वाब जो थोड़े से हैं
चल आधे आधे बाँट ले !
सारे उजाले रखना तू
सारे अँधेरे मेरे हों
हर शाम मेरी हो मगर
सारे सवेरे तेरे हों !
चल बाँट ले रुस्वाइयां
चल बाँट ले तन्हाईयाँ
आ बाँट ले ये धुप भी
चल बाँट ले परछाइयाँ !

ख्वाब जो थोड़े से हैं
चल आधे आधे बाँट ले !
जितने भी दर्द तेरे हैं
चल आ हतेली पे रखे
उस तरफ इनको उड़ेले
हो जिस तरफ पुरवाइयां !
ख्वाब जो थोड़े से हैं
चल आधे आधे बाँट ले
आ बंद कर लें खुस्बुएं
जो रात रानी से उडी
आ जेब में भरते हैं अब
जितने भी तारे मौन हैं
इस रात की स्याही को आ
पलकों से ढक के छोड़ दें
आ तैर कर एक नींद में
सब नाप ले गहराइयाँ

ख्वाब जो थोड़े से हैं
चल आधे आधे बाँट ले
~विनय

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